Tuesday, December 25, 2012

धीर पुरुष मोहित नहीं होता ...

As It Is 2.13
Dehino ’smin yatha dehe kaumaram yauvanam jara
tatha dehantara-praptir dhiras tatra na muhyati

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ॥
... TRANSLATION : As the embodied soul continuously passes, in this body, from boyhood to youth to old age, the soul similarly passes into another body at death. A sober person is not bewildered by such a change.
भावार्थ : जैसे जीवात्मा की इस देह में बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है, उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता ॥

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