Friday, December 7, 2012

श्री भगवान बोले, हे अर्जुन! तू न शोक करने.........

Bhagwad Geeta As It Is 2.11
Shri-bhagavan uvaca
Asocyan anvasocas tvam prajna-vadams ca bhasase
gatasun agatasums ca nanusocanti panditah
श्री भगवानुवाच
...
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे ।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥

TRANSLATION: The Supreme Personality of Godhead said: While speaking learned words, you are mourning for what is not worthy of grief. Those who are wise lament neither for the living nor for the dead.

भावार्थ : श्री भगवान बोले, हे अर्जुन! तू न शोक करने योग्य मनुष्यों के लिए शोक करता है और पण्डितों के से वचनों को कहता है, परन्तु जिनके प्राण चले गए हैं, उनके लिए और जिनके प्राण नहीं गए हैं उनके लिए भी पण्डितजन शोक नहीं करते ॥
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@[100186463391452:274:Bhagwad Geeta] As It Is 2.11
 Shri-bhagavan uvaca
Asocyan anvasocas tvam prajna-vadams ca bhasase
 gatasun agatasums ca nanusocanti panditah
श्री भगवानुवाच
 अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे ।
 गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥

TRANSLATION: The Supreme Personality of Godhead said: While speaking learned words, you are mourning for what is not worthy of grief. Those who are wise lament neither for the living nor for the dead.

भावार्थ : श्री भगवान बोले, हे अर्जुन! तू न शोक करने योग्य मनुष्यों के लिए शोक करता है और पण्डितों के से वचनों को कहता है, परन्तु जिनके प्राण चले गए हैं, उनके लिए और जिनके प्राण नहीं गए हैं उनके लिए भी पण्डितजन शोक नहीं करते ॥

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